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समकालीन विश्व में अमेरिकी वर्चस्व

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          महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर Q1 प्रथम खाड़ी प्रथम खाड़ी युद्ध खाड़ी युद्ध को किस नाम से जाना जाता है? Ans ऑपरेशन डेजर्ट स्टॉर्म! Q2 अमेरिका के आर्थिक बचत सत्ता को चुनौती कौन-कौन से देश दे रहे हैं? Ans भारत,चीन व जापान! Q3 समकालीन विश्व में अमेरिकी वर्चस्व की शुरुआत कब हुई? Ans सोवियत संघ के विघटन के बाद! Q4 राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के समय कौन सा ऑपरेशन शुरू हुआ था? Ans operation infinite reach! Q5 आतंकवाद के खिलाफ विश्वव्यापी युद्ध के अंग के रूप में अमेरिका ने कौन सा ऑपरेशन चलाया? Ans operation enduring freedom! Q6 वर्चस्व से क्या अभिप्राय है? Ans वर्चस्व शब्द से किसी एक राज्य के नेतृत्व या प्रभुत्व की जानकारी मिलती है! Q7 इंटरनेट किस परियोजना का परिणाम है? Ans इंटरनेट अमेरिकी सैन्य अनुसंधान परियोजना का परिणाम है! Q8 बैंड वैगन नीति क्या है? Ans अमेरिका केक वर्चस्व के विरोध मैं जाने के बजाए उसके तंत्र में रहकर अवसर का फायदा उठाना ! Q9 अमेरिकी वर्चस्व से से बचने का कौन सा तरीका है? Ans अमेरिकी वर्चस्व से बचने का तरीका अपने को छुपा लेन...

दो ध्रुवीयता का अंत

          महत्वपूर्ण   प्रश्नोत्तर Q1दो ध्रुवीयता का अर्थ लिखें? Ans शीत युद्ध के दौरान विश्व का दो गुटों में गया  जिससे शक्ति संरचना ही दो  ध्रुवीय हो  गई जिसे  अमेरिका और सोवियत संघ का नेतृत्व प्राप्त हुआ! Q2 दूसरी दुनिया के देश किन्हें कहा जाता था? Ansपूर्वी यूरोप के अनेक देशों ने अपने सामाजिक व राजनीतिक अर्थव्यवस्था को सोवियत संघ के समाजवादी प्रणाली की तरह डाला जिन्हें उन्हें ही समाजवादी खेमे के या दूसरी दुनिया के देश कहते हैं! Q3 साम्यवादी सोवियत अर्थव्यवस्था तथा पूंजीवादी हम अमेरिका की अर्थव्यवस्था में अंतर स्पष्ट करें? Ans सोवियत संघ में अर्थ में उत्पादन के सभी साधनों पर सरकार का नियंत्रण था जबकि अमेरिकी अर्थव्यवस्था में समूह पर का उत्पादन पर नियंत्रण था! Q4 शॉक थेरेपी के परिणाम लिखें? Ans रूबल मुद्रा में गिरावट ,समाज कल्याण की पुरानी अर्थव्यवस्था का नष्ट हो जाना, आर्थिक असमानता बड़ी ,लोकतांत्रिक संस्थाओं का निर्माण प्रार्थी प्राथमिकताओं के आधार पर नहीं हुआ ,वित्तीय संसाधनों को घाटा हुआ ,इतिहास के सबसे बड़े गैराज ...

शीतयुद्ध का दौर

               शीतयुद्ध का दौर ( परीक्षा उपयोगी महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर) संपादित करें जैसा कि इसके नाम से ही स्पष्ट है कि यह अस्त्र-शस्त्रों का युद्ध न होकर धमकियों तक ही सीमित युद्ध है। इस युद्ध में कोई वास्तविक युद्ध नहीं लड़ा गया। यह केवल परोक्ष युद्ध तक ही सीमित रहा। इस युद्ध में दोनों महाशक्तियों ने अपने वैचारिक मतभेद ही प्रमुख रखे। यह एक प्रकार का कूटनीतिक युद्ध था जो महाशक्तियों के संकीर्ण स्वार्थ सिद्धियों के प्रयासों पर ही आधारित रहा। 1. भारत की गुटनिरपेक्षता को ‘‘सिद्धान्त विहीन’’ गुटनिरपेक्षता कहा गया हैं क्योंकि भारत ने अपने हित साधने के लिए कई अन्तर्राष्ट्रीय मामलों में अपना पक्ष देने से बचता रहा हैं। 2. भारत ने सन् 1971 में बांग्लादेष के संकट के समय सोवियत संघ से अगस्त 1971  1. भारत की गुटनिरपेक्षता को ‘‘सिद्धान्त विहीन’’ गुटनिरपेक्षता कहा गया हैं क्योंकि भारत ने अपने हित साधने के लिए कई अन्तर्राष्ट्रीय मामलों में अपना पक्ष देने से बचता रहा हैं। 2. भारत ने सन् 1971 में बांग्लादेष के संकट के समय सोवियत संघ से अगस्त 1971...